हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय
रोजगार अवसराः नया
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अध्ययनस्य संकायाः
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विश्वविद्यालयस्य अधिकारिगणः
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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
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SWACHH BHARAT ABHIYAN
central university of himachal pradesh, hpcu, cuhp, dharamshala, dehra, Vice Chancellor Prof. Furqan Qamar
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central university of himachal pradesh, hpcu, cuhp, dharamshala, dehra, Chancellor Prof. Harmohinder Singh Bedi

प्रो. (डॉ.) हरमहेन्‍द्र सिंह बेदी
माननीय कुलाधिपति,
हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला

दिनांक 04 जुलाई 2018 को डॉ. हरमहेन्‍द्र सिंह बेदी को हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय का कुलाधिपति नियुक्‍त किया गया । वर्तमान में वे भारतीय समाज विज्ञान अनुसंधान परिषद, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के काउंसिल सदस्य तथा अल्पसंख्यक शिक्षा संबंधी राष्ट्रीय मॉनीटरिंग समिति के सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं । डॉ. बेदी ने वर्ष 2012 से 2014 तक पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला में प्रोफेसर एमिरेटस के पद पर भी अपनी सेवाएं दी हैं । वे गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर से प्रोफेसर और हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष के पद से सेवानिवृत्त हुए, जहां वे अधिष्ठाता और भगत कबीर, सतगुरु राम सिंह और स्वामी विवेकानन्द पीठों के निदेशक के पद पर भी कार्यरत रहे। अनेक क्षेत्रीय पुरस्कारों एवं सम्‍मानों के साथ-साथ उन्हें हिंदी भाषा के क्षेत्र में योगदान के लिए महामहिम भारत के राष्ट्रपति महोदय द्वारा 'हिंदी सेवी पुरस्कार (2017)' तथा पंजाब सरकार द्वारा 'शिरोमणि हिंदी साहित्यकार (2004)' से भी सम्मानित किया गया है। उन्होंने श्रम एवं नियोजन मंत्रालय तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं जन वितरण मंत्रालय में हिंदी सलाहकार के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं। उन्हें नवीन शिक्षा नीति के ड्राफ्ट को तैयार करने के लिए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय भाषा परिषद के पैनेल में भी शामिल किया गया है ।

आप एक सर्वोत्कृष्ट शिक्षाविद हैं तथा हिंदी साहित्य में पंजाब का सांस्कृतिक एवं धार्मिक योगदान के बारे में शोध ने आपको शैक्षणिक क्षेत्र में विशेष प्रसिद्धि दिलाई है । श्रद्धाराम फिल्लौरी पर उनकी तीन खंडों में शोध कार्य ने हिंदी साहित्य के इतिहास को नई दिशा प्रदान की है। उन्होंने हिंदी को बढ़ावा देने और विकास के लिए भारत के कोने-कोने की यात्रा की है। विगत दशक से वे सार्क देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए समान सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत के माध्यम से इनमें सांस्कृतिक संबंध विकसित करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं । उन्होंने तीस से भी अधिक पुस्तकों की रचना एवं संपादन कार्य किया है और हिंदी के सभी प्रमुख पत्रिकाओं में उनके लेखों को स्थान प्राप्त हुआ है। वे अनेक हिंदी समाचार पत्रों में नियमित स्‍तंभकार हैं । उनके कवि हृदय व्यक्तित्व (पांच से अधिक कविता संग्रह) और प्रभावी वक्ता गुण से सभी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं ।